------ लोककल्याण और अधर्म के विनाश के लिए त्रेतायुग राक्षसों के घोर अत्याचार होने लगे| पराई स्त्री, पराये धन पर मन चलाने वाले, दुष्ट, चोर , जुआरी, अधर्मी बढ़ गये| लोग देवताओ को नही मानने लगे और साधु संतो से सेवा करने लगे| ये सब देख पृथ्वी देवतादि गण भगवन हरि के पास गये उनकी प्रार्थना सुन श्री हरि ने श्री राम के रूप में अवतार लेकर रावण सहित सभी राक्षसों का नाश करने का वरदान दिया|
------ द्वारपालों को शाप से मुक्त करने के लिए | श्री लक्ष्मी पति विष्णु जी के द्वारपाल जय और विजय थे| किसी कारण वश ब्राह्मण के शाप से इनको तीन जन्मो के लिए आसुरो का शरीर मिला | पहले जन्म में ये हिरण्यकशिपू व हिरण्यना हुए| श्री हरि ने इसमें हिरण्यकशिपू को नरसिंह रूप और हिरण्यना को वराह रूप धारण कर के मारा | आगे चलकर वही हिरण्यकशिपू और हिरण्यना पहले जलधर दैत्य और अगले जन्म में रावण और कुम्भकर्ण हुए| इस जन्म में उन्हें शाप मुक्त करने के लिए श्री राम के रूप ने अवतार लिया |
------ स्त्री का श्राप भगवन हरि की लीलाये अनंत है एक जन्म में जलन्धर दैत्य हुआ| देवताओ पर अत्याचार देख शिव जी ने देत्य्राज से घोर युद्ध लिया| परन्तु वह मारा नही गया वे जलन्धर दैत्य की शान्ति का राज उसकी परम सती, पतिव्रता स्त्री थी| श्री हरि ने छल कर उस स्त्री का व्रत भंग किया| तब क्रोध में उस स्त्री ने भगवान हरि को श्राप दिया| उसके शाप को स्वीकार कर प्रभु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया|
------ नारद जी के श्राप के कारण नारद जी के अभिमान को चूर करने के लिए भगवान् श्री हरि ने एक घटनाक्रम उन्हें बंदर का रूप दिया | नारद जी को यह पता चला तो उन्होंने स्त्री वियोग और बंदर के द्वारा कार्य सिद्द होने का श्राप दिया| एक कल्प में इस श्राप प्रमाणित करने के लिए श्री हरि ने राम के रूप में अवतार लिया|
------ मनु और शतरूपा को वरदान राजा मनु ने राज पथ त्याग कर अपनी पत्नी शतरूपा के साथ वन में जाकर कठोर ताप किया और श्री हरि को प्रसन्न किया | भगवान श्रीहरि उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न हो कर वरदान मांगने को कहा तब मनु शतरूपा ने भगवान को पुत्र के रूप में अपने की प्रार्थना की| प्रभु ने इनकी प्रार्थना स्वीकार कर एक कल्प में शतरूपा की कोख से जन्म लेने का वरदान दिया| आगे चलकर मनु-शतरूपा राजा दशरथ और रानी कौशल्या हुए |
------ ब्राह्मणों द्वारा सत्यकेतु को श्राप विष्णुभक्त राजा सत्यकेतु को एक घटनाक्रम के अनुसार ब्राह्मणों द्वारा श्राप मिला की तू परिवार सहित राक्षस हो जा | आगे चलकर यही सत्यकेतु रावण हुआ और इसके परिवार के सदस्य राक्षस बने सत्यकेतु का छोटा भाई अरिमर्दन कुम्भकर्ण और सौतेला भाई धर्मरूचि विष्णुभक्त विभीषन हुआ| इस तरह नाना प्रकार के कवियों ने श्री राम के जन्म के अनेको अनेक कारण बताए गये है|